यही कोई रात तीन बज रहे थे मैं छत पर सो रहा था अचानक से हवा बहुत तेज़ चलने लगी। अंधी जैसा महसूस हुआ और नींद टूट गयी। मैं बिस्तर उठा कर नीचे अपने कमरे में आ गया। गर्मी का मौसम था। मैंने फ्रीज़ से पानी की बोतल निकली और चार घूंट पानी पीय। मैंने फेसबुक खोला और बेड पर लेट गया। मैंने सारा फेसबुक स्क्रोल करने के बाद ऑनलाइन लोगों की लिस्ट देखी। तकरीनबान दस लोग ऑनलाइन थे उसमें एक लड़की ऑनलाइन थी जिसका नाम गीता कुमारी था।
मैंने उसको 'हे' लिख कर भेज। थोड़ी देर में उधर से रिप्लाई आय, 'हेलो'।
मैं: इतनी रात गए सोये नहीं अभी त आप।
गीता: बस ऐसे ही नींद नहीं आ रही है।
मैं: मुझे लगता है की आपको सो जान चाहिए ।
गीता: हाँ मैं भी यही सोच रहे हूँ की मुझे सो जान चाहिए ।
मैं: फिर सो क्यों नहीं रहे हो आ।
गीता: बोले न नींद नहीं आ रही है हमको।
मैं: ओह अच्छ।
मैंने चैट बॉक्स तो स्क्रॉल करके अच्छे से चेक किय। की लास्ट टाइम हमारी कितनी दफा बात हो चुकी है। चेक करने पर पता चला की मैंने उसको तीन महीने पहले रिक्वेस्ट सेंड कि थी। इस दौरान मैंने उसको दो बार 'हे' लिख कर सेंड किया थ। और उसको भी मुझे दोनों मैसेज का रिप्लाई आया था। 'हेलो, हेलो'। दोनों दो दो दिन के बाद।
इसके तुरंत बाद मैंने अपना सबसे बेस्ट सवाल उसको पूछा की, "लगता है आज आप काफी परेशान हो?"
गीता: हाँ,
दो मिनट बाद।
मैं: क्यों क्या हुआ?
गीता: यार भगवान जॉब हमसब को बनाता है तो मारता क्यों है।
मैं ये पढ़ा कर थोड़ा हैरान थ। मेरी रूचि इस सवाल के पीछे छुपी हुयी वजह को जानने में बढ़ गयी ।
मैं: क्यों ऐसा क्या हुआ । मुझे लगता है की आप कुछ ज़्यादा ही परेशान है।
गीता: भय, हटाइये।
मैं: फिर भी, बताईये तो सही।
उसके बोलने से लग रहा था की वो बिहार या झारखण्ड से है। मैंने सोचा की अभी नहीं जब सही वक़्त आएगा तो अड्रेस पूछ लूंगा। क्योकि उसकी 'आई-डी' पर कुछ भी लिखा हुआ नहीं आ रह था।
गीता: सुनिया हमारी टीम में एक लड़का था उसके मम्मी-डैडी दोनों बाजार गए थे। उनका एक्सीडेंट हो गया। दोनों जिंदगी और मौत की जंग हार गए। उनके छोटे-छोटे बच्चे थे। अब बताईये उनका क्या होगा। हम इतनी दुखी है न की सोच रहे की ख़ुदकुशी करले। ये सब हमसे नहीं देखा जा रहा है। हमको सोच-सोच कर नींद नहीं आ रहा है और हम बहुत परेशान हैं। सोचिये कल को अगर हमारे साथ ऐसा हो गया तो हम तो मारिये जाएंग।
न बाबा न हमको नहीं जीना है अब।
उसका इतना लम्बा मैसेज देख कर में थोड़ा हिल गय। इधर तो मेटर ही कुछ और था।
मैंने बातचीत के दौरान थोड़ा धैर्य थोड़ा।
मैं: ओह, मुझे माफ़ कीजिये ये तो बहुत दुखद है। ये सुन कर मुझे भी बहुत दुःख हुआ। काश मैं कुछ उस लड़के के लिए कर सकता तो मुझे अच्छा लगता।
गीता: ये जिंगदी तो हमको बिलकुल अच्छी नहीं लगत। हम एक दम तंग आ गए है। ये सब सोच कर ।
मैं: मैं आपको समझ सकता हूँ पर इसमें आप क्या कर सकती हो। आपका क्या कसूर है। अपने उनका क्या बिगाड़ा है। अपने तो कुछ नहीं किया है तो आप इतना खुद को दोषी क्यों मान रहे हो।
गीता: बस हमको कुछ नहीं पता। यार भगवान् इतना दुःख क्यों बनाया है। अगर दुनिया को भगवान् ने बनाई है तो सिर्फ सुख ही क्यों नहीं बनाये। लोगों को इतना दुखी क्यों रखा है। अब आप बताओ की वो छोटे छोटे बच्चो का क्या होगा। अभी तो उसका कॉलेज भी नहीं पूरा हुआ। उसके छोटे भाइयों का तो अभी तक स्कूल भी नहीं ख़त्म हुआ है ।
अचानक मुझे श्री मत भगवत गीता की कुछ बातें याद आ गय।
मैं: जीवन और मृत्युं दोनों हमारे हाथ में नहीं है। जीवन देना और लेना दोना भगवान् के हाथ में है। इसीलिए श्री कृष्ण ने गीता में कहा की, तू सिर्फ अपने कर्मो के लिए ज़िम्मेदार है, उसके फल के लिए नहीं, क्यों फल का मिलना तेरे हाथ में नहीं है, वो मेरे हाथ में है। तेरे हाथ में सिर्फ कर्म करना है। तुझे अपने कर्मो को पुराण निष्ठां के साथ करना चाहिए।
गीता: फिर भी ऐसा क्यों होता है यार। ये बहुत बुरा है। हमको तो बहुत बुरा लग रहा है।
मैं: आपको बुरा लगना भी चाहिए क्योकि वो आपके दोस्त के माता-पिता थे। आपको धैर्य रखना होगा। ताकि आपके जीवन को नुकशान न हो।
गीता: कुछ भी हो अगर कल को हमरे साथ ऐसा हो तो।
मैं: ये सब सोचना व्यर्थ है ? चिंता फ़िक्र भय और क्रोश ये सब का आपको त्याग करना पड़ेगा। तभी आप अपने जीवन को उस तरह से जी सकते हो जिस तरह श्रेठ पुरुष जीता है। अन्यथा जीवन जीना बहुत कठिन हो जायेगा।
अब ऐसा लग रहा था की वो कुछ हद तक समझ रही है, इसके साथ ही मैंने पूछ लिया की रात काफी हो चुकी आपको अब सो जान चाहिए। शायद अब भी उसके बाद बहुत सारे सवाल होंगे। पर पता नहीं क्यों मुझे ऐसा लगा की अब श्याद उसके पास कोई सवाल न बचा होगा।
गीता: थैंक्यू सो मच।
मैं: वेलकम । मुझे लगता है आपको अब सो जान चाहिए। आपको क्या लगता है।
गीता: मुझे भी यही लगता है। गुड नाईट।
मैं: गुड नाईट। टेक केयर।
इसके बाद मैंने समय देखा। तकरीबन चार बज गए। एक घंटा लगातार बातें हुयी। मुझे बहुत ख़ुशी हुई क्योकि मैंने आज किसी की मदद की है। श्याद वो अब अच्छा महसूस कर रही होगी। मुझे खुद भी बहुत अच्छा लगा रहा था।
अरे बातों ही बातों में, मैं आपको अपना नाम बताना ही भूल गया। संजय चौधरी। मैं टेक्सटाइल इंडस्ट्री में मैनेजर हूँ।
मैंने फ़ोन को साइड में रखा और सो गया। अगले दिन
अशोक कुमार
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मैंने उसको 'हे' लिख कर भेज। थोड़ी देर में उधर से रिप्लाई आय, 'हेलो'।
मैं: इतनी रात गए सोये नहीं अभी त आप।
गीता: बस ऐसे ही नींद नहीं आ रही है।
मैं: मुझे लगता है की आपको सो जान चाहिए ।
गीता: हाँ मैं भी यही सोच रहे हूँ की मुझे सो जान चाहिए ।
मैं: फिर सो क्यों नहीं रहे हो आ।
गीता: बोले न नींद नहीं आ रही है हमको।
मैं: ओह अच्छ।
मैंने चैट बॉक्स तो स्क्रॉल करके अच्छे से चेक किय। की लास्ट टाइम हमारी कितनी दफा बात हो चुकी है। चेक करने पर पता चला की मैंने उसको तीन महीने पहले रिक्वेस्ट सेंड कि थी। इस दौरान मैंने उसको दो बार 'हे' लिख कर सेंड किया थ। और उसको भी मुझे दोनों मैसेज का रिप्लाई आया था। 'हेलो, हेलो'। दोनों दो दो दिन के बाद।
इसके तुरंत बाद मैंने अपना सबसे बेस्ट सवाल उसको पूछा की, "लगता है आज आप काफी परेशान हो?"
गीता: हाँ,
दो मिनट बाद।
मैं: क्यों क्या हुआ?
गीता: यार भगवान जॉब हमसब को बनाता है तो मारता क्यों है।
मैं ये पढ़ा कर थोड़ा हैरान थ। मेरी रूचि इस सवाल के पीछे छुपी हुयी वजह को जानने में बढ़ गयी ।
मैं: क्यों ऐसा क्या हुआ । मुझे लगता है की आप कुछ ज़्यादा ही परेशान है।
गीता: भय, हटाइये।
मैं: फिर भी, बताईये तो सही।
उसके बोलने से लग रहा था की वो बिहार या झारखण्ड से है। मैंने सोचा की अभी नहीं जब सही वक़्त आएगा तो अड्रेस पूछ लूंगा। क्योकि उसकी 'आई-डी' पर कुछ भी लिखा हुआ नहीं आ रह था।
गीता: सुनिया हमारी टीम में एक लड़का था उसके मम्मी-डैडी दोनों बाजार गए थे। उनका एक्सीडेंट हो गया। दोनों जिंदगी और मौत की जंग हार गए। उनके छोटे-छोटे बच्चे थे। अब बताईये उनका क्या होगा। हम इतनी दुखी है न की सोच रहे की ख़ुदकुशी करले। ये सब हमसे नहीं देखा जा रहा है। हमको सोच-सोच कर नींद नहीं आ रहा है और हम बहुत परेशान हैं। सोचिये कल को अगर हमारे साथ ऐसा हो गया तो हम तो मारिये जाएंग।
न बाबा न हमको नहीं जीना है अब।
उसका इतना लम्बा मैसेज देख कर में थोड़ा हिल गय। इधर तो मेटर ही कुछ और था।
मैंने बातचीत के दौरान थोड़ा धैर्य थोड़ा।
मैं: ओह, मुझे माफ़ कीजिये ये तो बहुत दुखद है। ये सुन कर मुझे भी बहुत दुःख हुआ। काश मैं कुछ उस लड़के के लिए कर सकता तो मुझे अच्छा लगता।
गीता: ये जिंगदी तो हमको बिलकुल अच्छी नहीं लगत। हम एक दम तंग आ गए है। ये सब सोच कर ।
मैं: मैं आपको समझ सकता हूँ पर इसमें आप क्या कर सकती हो। आपका क्या कसूर है। अपने उनका क्या बिगाड़ा है। अपने तो कुछ नहीं किया है तो आप इतना खुद को दोषी क्यों मान रहे हो।
गीता: बस हमको कुछ नहीं पता। यार भगवान् इतना दुःख क्यों बनाया है। अगर दुनिया को भगवान् ने बनाई है तो सिर्फ सुख ही क्यों नहीं बनाये। लोगों को इतना दुखी क्यों रखा है। अब आप बताओ की वो छोटे छोटे बच्चो का क्या होगा। अभी तो उसका कॉलेज भी नहीं पूरा हुआ। उसके छोटे भाइयों का तो अभी तक स्कूल भी नहीं ख़त्म हुआ है ।
अचानक मुझे श्री मत भगवत गीता की कुछ बातें याद आ गय।
मैं: जीवन और मृत्युं दोनों हमारे हाथ में नहीं है। जीवन देना और लेना दोना भगवान् के हाथ में है। इसीलिए श्री कृष्ण ने गीता में कहा की, तू सिर्फ अपने कर्मो के लिए ज़िम्मेदार है, उसके फल के लिए नहीं, क्यों फल का मिलना तेरे हाथ में नहीं है, वो मेरे हाथ में है। तेरे हाथ में सिर्फ कर्म करना है। तुझे अपने कर्मो को पुराण निष्ठां के साथ करना चाहिए।
गीता: फिर भी ऐसा क्यों होता है यार। ये बहुत बुरा है। हमको तो बहुत बुरा लग रहा है।
मैं: आपको बुरा लगना भी चाहिए क्योकि वो आपके दोस्त के माता-पिता थे। आपको धैर्य रखना होगा। ताकि आपके जीवन को नुकशान न हो।
गीता: कुछ भी हो अगर कल को हमरे साथ ऐसा हो तो।
मैं: ये सब सोचना व्यर्थ है ? चिंता फ़िक्र भय और क्रोश ये सब का आपको त्याग करना पड़ेगा। तभी आप अपने जीवन को उस तरह से जी सकते हो जिस तरह श्रेठ पुरुष जीता है। अन्यथा जीवन जीना बहुत कठिन हो जायेगा।
अब ऐसा लग रहा था की वो कुछ हद तक समझ रही है, इसके साथ ही मैंने पूछ लिया की रात काफी हो चुकी आपको अब सो जान चाहिए। शायद अब भी उसके बाद बहुत सारे सवाल होंगे। पर पता नहीं क्यों मुझे ऐसा लगा की अब श्याद उसके पास कोई सवाल न बचा होगा।
गीता: थैंक्यू सो मच।
मैं: वेलकम । मुझे लगता है आपको अब सो जान चाहिए। आपको क्या लगता है।
गीता: मुझे भी यही लगता है। गुड नाईट।
मैं: गुड नाईट। टेक केयर।
इसके बाद मैंने समय देखा। तकरीबन चार बज गए। एक घंटा लगातार बातें हुयी। मुझे बहुत ख़ुशी हुई क्योकि मैंने आज किसी की मदद की है। श्याद वो अब अच्छा महसूस कर रही होगी। मुझे खुद भी बहुत अच्छा लगा रहा था।
अरे बातों ही बातों में, मैं आपको अपना नाम बताना ही भूल गया। संजय चौधरी। मैं टेक्सटाइल इंडस्ट्री में मैनेजर हूँ।
मैंने फ़ोन को साइड में रखा और सो गया। अगले दिन
अशोक कुमार
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Nice.......
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