किसके पास कितना समय है? इस धरती पर सबके पास बहुत ही सिमित समय है। ये धरती अरबो-खरबो साल से, इसी तरह से ब्रम्हांड में एक निश्चित सिमा में, एक निर्धारित समय में सूर्य के इर्द-गिर्द घूम रही है। ब्रम्हांड में ग्रह, उपग्रह, उल्का पिंड, ब्रम्हांडीय अनुसाशन का पालन करते है। ब्रम्हांड में जो कुछ भी मौजूद है, सब गतिमान है। ये सब कई अरबों सालों से चल रहा है। इस धरती पर सबसे ज़्यादा बड़ी ज़िन्दगी समुंदरी जीवों की है। १०० से २०० साल तक। पता नहीं वो २०० साल से यहाँ क्या कर रहे हैं। उन्होने अपने समुन्दर में कोई विकास नहीं किया कोई नयी तकनीक का निर्माण नहीं किया वो वैसे ही जी रहे है जैसे की वो २००0 साल पहले जी रहे थे।
इस धरती पर बदलाव मानव लेकर आया है। सबसे पहले मानव ने खुद को बदला फिर इस दुनिया को बदलने की कोशिश की। मानव ने अपनी सोच से सब कुछ बदल डाला। लेकिन वो अभी तक मौत को बदल न सका। मौत एक ऐसी घटना है जिसको धोखे में नहीं रखा जा सकता है। लेकिन मौत को रोकने की दिशा में लोगों का प्रयास जारी है। क्योकि मानव कभी मरना नहीं चाहता है। फिर भी वो मर जाता है।
मानव का स्वस्थ जीवन आज के इस युग में ६० वर्ष तक ही सिमित रह गया है। इसके बाद कोई न कोई बिमारी लग जाती है। नहीं तो लोग खुद को ही बीमार बना लेते हैं। ६० वर्ष के जीवन को जीकर मानव इस धरती से मुक्त हो जाता है। उसने अपने जीवन में जो कुछ भी किया है वो सब यही रह जाता है। उसके मृत शरीर के साथ। आखिरी में उसकी चिता को आग के हवाले कर दिया जाता है। बस जीवन का सच इतना ही है। इसके आगे किसी ने कुछ नहीं देखा है।
अब आपको ये सोचना है की आपकी उम्र क्या है और आपके पास कितना समय बचा है। उस बचे हुए समय में आपको, क्या करना है? सोचो!!
अशोक कुमार
आगे पढ़ो:- अगर मैं दुनिया की सारी किताबें पढ़ डालूं?
कोई टिप्पणी नहीं