पहले तो ये जानना जरुरी है की तुम किताबें पढ़ते ही क्यों हो? ताकि तुम उसमे लिखी जानकारी को अपनी दिमाग में डाल सको। किताबों में लिखी जानकारी को अपने दिमाग में डालने के बाद क्या करोगे। तुम तो वही रहोगे। सूरत तुम्हारी वैसे के वैसे रहेगी। शरीर भी वैसे ही रहेगा। शारीरिक रूप से कुछ नहीं बदलेगा। बदलाव आएगा भी तो मानसिक। किताबें पढंने के बाद लोग तीन रूप में बदल जातें हैं।पहले वो जो जानकारी हासिल करते हैं और खामोश हो जातें हैं।
दूसरे वो जो जाकारी हासिल करते हैं और किसी काम में उसका इस्तेमाल करते हैं।
तीसरे वो हैं जो जानकारी हासिल करते हैं जाकर गली मोहल्ले में लोगों से तर्क करते हैं। लड़ाई करते हैं। इसी बात पर कई बार तो मामला बढ़ जाता है। तो खून कतल भी हो जाता है।
अब सवाल पर आतें हैं, अगर तुम दुनिया की सभी किताबें पढ़ भी लो तो तुम्हारा ज्ञान तो फिर भी अधूरा ही रहेगा। क्योकि हर रोज़ हज़रों किताबें छाप जाती हैं। जब तुम इस धरती पर मौजूद सारी पुस्तकें पढ़ डालोगे। उसके बाद इस धरती के बाहर वो ब्रम्हांड है उसके बारे में ज्ञान कहाँ से हासिल करोगे। अंत में तुम अज्ञानी ही रहोगे। चाहे तो सारी पुस्तकें क्यों न पढ़ डालो।
अशोक कुमार
आगे पढ़े:- किसी ने मुझसे पूछा की कभी-कभी मुझे लगता है की मेरा ज्ञान समापत हो गया है? इसका क्या मतलब है।
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