अगर तुम अपने परिवार से कहीं दूर, किसी दूसरे शहर में रहते हो। इस हालात में, जब तुम्हारे परिवार वालों को पता चलेगा की तुम गायब हो गए हो, वो तुम्हारे गायब होने की एक कंप्लेंट पुलिस स्टेशन में दर्ज़ करवा देंगे। हर रेलवे स्टेशन पर तुम्हारी तस्वीर लगवा देंगे, लापता लिख कर। कुछ अखबार में इस्तेहार दे देंगे।
कुछ दिन तक, जिससे तुम्हारा दिली लगाव है वो तुमको उस शहर में ढूंढेगा। फिर बेचारा थक हार कर वो अपने घर चला जायेगा। उसके पास और रास्ता भी क्या है। जब तक तुम्हारे परिवार के लोग जिन्दा है तुम्हारी बातें होंगी। उसके बाद लोग तुमको भूल जाएंगे। खेल ख़त्म। बस इतना ही। इस से ज़्यादा कुछ और उम्मीद मत करना। नहीं तो उम्मीद टूट जाएगी। गायब होना और मर जाना एक सामान है। मरने पर बस चिता को आग लगा देने के बाद ये साबित हो जाता है की अब मारा हुआ आदमी लौट कर नहीं आएगा। लेकिन गायब होने पर कुछ लोगों में तुम्हारी एक उम्मीद ज़िंदा रहती है की किसी दिन तुम वापिस लौट कर आ जाओगे।
अगर तुम दूर कही दूसरे देश में हो और तुम गायब हो जाओ। फिर हमेशा तुम गायब ही कहे जाओगे। क्योकि कोई तुमको वहां ढूंढने भी नहीं जायेगा। कोई नहीं। बस यही सच है। बाकी सब फिल्मी है।
अशोक कुमार
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