मेरा नाम राहुल है। मैं आज अपने दिल की एक बात आपको बताना चाहता हूँ। ये बात उस समय की है जब मैं इंजीनियरिंग के फर्स्ट ईयर में पढ़ रहा था। मुझे एक लड़की बहुत पसंद आयी। उसको देख कर ऐसा लगा की जैसे यही मेरे सपनो की रानी है। मेरे दिल में खलबली मच गयी। मैं पागलों की तरह उसकी चाहत में इधर-उधर घूम रहा था। मैंने जैसे-तैसे उसका नंबर हम दोनों की कॉमन फ्रेंड से लिया।
नंबर मिलने के बाद मुझे ऐसा लगा की अब तो बात बन जाएगी। आखिर दो दिन बाद हिम्मत जुटा कर मैंने व्हाट्सप्प पर उसको सिंपल सा ‘हेलो’ भेजा। मैं उसके रिप्लाई के इंतज़ार में था। पूरा दिन निकल गया पर उसका रिप्लाई नहीं आया। मैं हर रोज़ उसको देखता रहता था। पर उसका रिप्लाई नहीं आया। उसको देखते ही देखते फर्स्ट सेमेस्टर निकल गया फिर सेकंड सेमेस्टर भी निकल गया। धीरे धीरे पूरा एक साल बीत गया मैं आज भी उसके रिप्लाई के इंतज़ार में था।
फिर हमारे डिपार्टमेंट बदल गए। वो इलेक्ट्रिकल में चली गयी। मैं कंप्यूटर में आ गया। फिर भी मैं उसको देखने के बहाने, उसकी क्लास में हमारी कॉमन फ्रेंड को मिलने जाता था।
वो मुझे देखती थी। उसको पता था की मैं उसको देख रहा हूँ। मेरे मन में उसको लेकर एक उम्मीद थी। हुआ यूँ की पुरे डेढ़ साल बाद उसका रिप्लाई आया। मैं हैरान था। मैंने लिखा की, इतना जल्दी रिप्लाई क्यों दिया तुमने। हमारी कुछ दिन तक बातें हुई। शायद वो मेरे प्यार में बहाने लगी थी। एक वीक मैंने उसका फ़ोन नहीं उठाया क्योकि मैं परिवारिक समस्या में फसा हुआ था। उसको लगा की मैं उसको लेकर सीरियस नहीं हूँ। एक दिन बातों ही बातों में उसने मुझे बोला, "मुझे लगता नहीं की तू मुझे लेकर सीरियस है, अगर प्यार करने नहीं आता तो, तो बात भी मत किया कर, ये कहते ही उसने मुझे अपनी ज़िन्दगी से ब्लॉक कर दिया।
तकरीबन सात महीने बाद मेरे बर्थडे वाले दिन मुझे उसका फ़ोन आया। मैं उसका फ़ोन नहीं उठा पाया। मैंने जब उसको बैक कॉल किया। उसने मुझे ठीक वही बात दोहराई जो सात महीने पहले बोली थी। “आज भी तूने मेरा फ़ोन नहीं उठाया। तू मुझे लेकर तब भी सीरियस नहीं था और आज भी नहीं है। ये कह कर उसने फिर से फ़ोन काट दिया।“
अशोक कुमार
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