मेरा नाम अभिषेक है। मैं अमेरिका की 'सिलिकॉन वैली' की एक बहुत बड़ी सॉफ्टवेयर कंपनी में प्रोग्रामर के रूप में काम कर रहा हूँ। ऑफिस से निकलने के बाद मुझे एक अननोन नंबर से कॉल आया। मैंने कॉल पिक किया। उधर से आवाज़ आयी हेलो अभिषेक!
मैंने बोला, कौन?
कॉल: मैं अनामिका।
मैं: ओह अनामिका! कैसी हो? नंबर कैसे मिला तुमको मेरा? कहाँ हो? कब? कैसे? बहुत अच्छा हुआ?
और सब ठीक है न?
उसने मुझे अपने घर पर खाने के लिए बुलाया है। वो पास की सिटी 'पालो आल्टो' में रहती है। मैं सोच रहा हूँ की जाऊ की न जाऊ? कुछ समझ नहीं आ रहा है।
अनामिका को मैंने पहली बार तब देखा था जब मैं इंजीनियरिंग करने के लिए देहरादून गया था। मेरे पापा मुझे अपने एक दोस्त रविंदर अंकल, के घर पर लेकर गए थे। पापा और रविंदर अंकल मिलिट्री में दोस्त थे। दोनों ने जपनी ज़िन्दगी के कई साल साथ में गुजारे थे।
रविंदर अंकल का घर कॉलेज के पास था। इसलिए उन्होने लड़कों के लिए दस रूम वाला एक घर बनवाया था जोकि उनके घर से दस कदम की दूर पर था। जिसमे सिर्फ स्टूडेंट रहते थे। मुझे उनके हॉस्टल में जगह मिल गयी। मैंने दो बेड वाले रूम में अपना सामान रखा। कुछ देर आराम किया। पापा और रविंदर अंकल बहार घूमने चले गए। आज शाम का खाना रविंदर अंकल के घर पर था।
मैं शाम को उनके घर पर गया। पापा और रविंदर अंकल मेरा इंतज़ार कर रहे थे। उनके घर के किचन के बहार आठ कुर्सियों वाला टेबल लगा था। मैं जैसे ही पंहुचा अंकल मुझे बोले, आओ अभिषेक, बैठो। कमरा कैसा लगा।
मैंने, थैंक्यू बोला, साथ में, "कमरा अच्छा लगा।"
अंकल: बस ठीक है। धीरे-धीरे तुम्हारा मन लग जायेगा। फिर सब कुछ बहुत अच्छा लगने लग जायेगा।
तभी एक लड़की आकर मेरे सामने बैठी।
अंकल: ये मेरी बेटी है। अनामिका।
अनामिका: हेलो!
मैं: हेलो!
आंटी बोली की, बी.ए में एडमिशन करवाया है।
मैं: फिर तो अच्छा है कोई टेंशन नहीं है।
अनामिका: क्यों टेंशन नहीं है। बिना पढ़े बी.ए पास नहीं होती है। समझे!
मैं: हाँ ये बात तो सही है। बिना पढ़े तो बीए पास नहीं होती है। तुमको ये मानना पेड़ेगा की बीटेक
जितनी मुश्किल नहीं होती बीए।
अनामिका: बीए बीए है। बीटेक बीटेक है। कहाँ पोलाव और कहाँ खिचड़ी। खैर जाने दो। लोगों के लिए
तो दोनों चावल हैं और कुछ नहीं।
इसी तरह बात चीत करते-करते, हमने साथ में खाना खाया। मेरी उनके परिवार के साथ अच्छी दोस्ती हो गयी। मैं ओपन माइंडेड हुआ करता था। ज़्यादा शर्माता-वर्मता नहीं था। उनके घर आना-जाना लगा रहता था। ऐसे हस्ते- खेलते पढ़ते कब तीन साल निकल गए मुझे पता ही नहीं चला। एक दिन मैं अनामिका के घर पर था तभी उसकी मम्मी को एक कॉल आया। उसकी मम्मी कॉल के बाद थोड़ा घबरा गयी। मैंने उनको पहले पानी पिलाया। फिर पूछा की क्या हुआ। उन्होने हकलाते हुए बोला की, पुलिस स्टेशन से फ़ोन आया था। फ़ोन अनामिका ने किया था, फिर पुलिस वाले ने बोला की, "आप स्टेशन आ जाओ। यहाँ पर बैठ के बात करते हैं।"
मैंने आंटी के साथ पुलिस स्टेशन गया। गेट पर अनामिका मिली। आंटी ने जैसे ही अनामिका को देखा, तीन चार झापड़ धार दिए। कांस्टेबल ने दौड़ कर रोका। कांस्टेबल बोली की हाथ नहीं लगाना। बात करना है तो करो नहीं तो बहार बैठो।
आंटी: क्या किया तूने? क्यों किया? ये सब कब किया? अनामिका रो रही थी क्योकि उसकी मम्मी ने
उसको मारा था।
इंस्पेक्टर ने सबको अंदर बुलाया। इंस्पेक्टर ने आंटी को एक कागज दिखाया।
इंस्पेक्टर: ये देखो तुम्हारी लड़की ने कोर्ट मेरज़ कर लिया है। तीन महीने पहले।
आंटी: मैं नहीं मानती। ये सब झूठ है।
इंस्पेक्टर: (मुझे पूछता हुआ) तुम क्या करते हो?
मैं: "इंजीनियरिंग थर्ड ईयर" । मैं इंजीनियरिंग थर्ड ईयर में हूँ।
इसंपेक्टर: इधर आओ और ये पढ़-कर सुनाओ।
मैंने वो कागज़ इंस्पेक्टर के हाथों से लिया और पढ़कर आंटी को सुनाया।
मैं: ठीक कह रहे हैं। शादी कर ली है। तीन महीने पहले।
आंटी: नहीं नहीं, रुको। इसके पापा को आने दो। मुझे कुछ नहीं मालूम है।
कांस्टेबल ने हमको एक अलग कमरे में बैठा दिया। अनामिका थाने से बहार चली गयी। दो घंटे बाद अंकल आये। इंपेक्टर ने उनको हमको फीर से केबिन में बुलाया। इंस्पेक्टर ने सारी बात फिर से बताई। अंकल ठीक है कह कर थाने से बहार निकल गए।
आंटी अपनी बहन के घर गयी। जिसकी रिस्तेदारी में लड़का आता था। यानि की लड़का अनामिका की मौसी का रिस्तेदार था। आंटी ने मौसी को बोला की उनके घर से किसी को बुलाओ। मौसी ने फ़ोन करके बुलाया। लड़की के जीजा और बहन मिलने के लिए आये।
आंटी बोली की हमारी लड़की किधर है। हमको हमारी लड़की चाहिए।
जीजा बोला, "हमको नहीं पता की वो किधर है, मुझे बस इतना पता है की उसने शादी की है। जब हमको पता चल जाएगा तो हम आपको खबर कर देंगे। इसी तरह से थोड़ी बहस हुई। थोड़ी बहुत नोक झोंक हुई। हम अपने घर चले गए।
अगले दिन 11.00 बजे अनामिका घर पर अकेली आ गयी। आंटी ने उसके हाथ जोड़े। पैर जोड़े। बहुत समझाया उसको। पर वो न मानी। मैं मूक बनके सब कुछ देखता रहा। येही ड्रामा पांच छे दिन तक चलता रहा। जब तक रिस्तेदार नहीं आ गए। लेकिन अनामिका नहीं मानी। कोई सेट्लमेंट नहीं हुआ। सातवें दिन पुलिस का फ़ोन आया की, तुमको सेट्लमेंट करना है तो करो नहीं तो लड़की को रिलीज़ करदो।
दोनों घर वालों की सहमति से समाज को दिखाने के लिए पुरे सामाजिक रूप से लड़की की शादी धूम-धाम से की गयी। लड़का भी घोड़े पर आया अपनी दुल्हन को ले जाने के लिए। आखिरकार सब कुछ ठीक से हो गया। इज़्ज़त भी बच गयी और लड़की की बिदाई भी हो गयी।
अनामिका कुछ दिन तक अपने घर पर ठीक रही। बाद में पता चला की उसको उसकी ननद की तरफ से बहुत परेशान किया जाता है। अनामिका से बहुत सारा काम करवाया जाता है। बाकी सब लोग आराम करते हैं। इसी वजह से अनामिका टेंशन में रहने लग गयी। इसी बीच उसका गर्भपात हो गया। घर में बहुत टेंशन हो गयी। नित-दिन लड़ाई-झगड़ा होने लगा।
आंटी जाकर अनामिका को लेकर आयी। आंटी बोली की मैं अपनी बेटी को अपने घर लेकर जा रही हूँ। एक महीने तक लड़के के घर से कोई लेने नहीं आया न ही कोई फ़ोन आया। दो महीने बाद अचानक से एक दिन लड़के का फ़ोन आया और बोला आपको अपनी लड़की को भेजना नहीं है क्या, साफ-साफ़ बता दो?
आंटी बोली की, "नहीं भेजना है, हमको डाइवोर्स फाइल करना है।" लड़के ने फ़ोन रख दिया। आठ महीने बाद लड़की की तरफ से डाइवोर्स फाइल हो गया। फाइल होने के कुछ दिनों बाद अनामिका फिर से उसको फ़ोन करने लगी। लड़का उसको मनाने लगा। अनामिका एक बार फिर से उसके माया जाल में फास रही थी की उसकी मम्मी ने उसको पकड़ लिया। उसी दिन उसके पापा शाराब पीकर घर आये थे और उन्होने अनामिका को बहुत मारा। मार खाने के बाद उसने फ़ोन पर बात करन बंद कर दिया। उसके छे महीने बाद दोनों का डाइवोर्स हो गया। मेरी इंजीनियरिंग पूरी हो गयी और मैं अमेरका चला आया।
स्टार्टिंग में उनसे बात होती थी, कुछ महीने बाद आंटी ने उसका एडमिशन एम.ए में करवा दिया। उसका फिर से एक चक्कर चालू हो गया। उसके पापा ने उसको फिर से मारा और बोला की "कुत्ते दम कभी सीधी नहीं होगी। कितना भी समझा लो करेगी फिर से वही अपने वाली।"
आज उसने मुझे फ़ोन पर मुझे बताया की उसकी दूसरी शादी किसी इंजीनियर से हुई है और वो उसके साथ अमेरिका में रहती है।
उसके पापा उसको कुछ भी कह सकते हैं। ये उनका अधिकार है। उसकी माँ उसको मारपीट के समझा सकती है। क्योकि उन्होने उसको जन्म दिया है। मेरी नज़र में वो एक सीधी-साधी लड़की है। जो हमसफ़र की तलाश में है। प्यार करना कोई गुनाह नहीं है। प्यार किसी से पूछा के नहीं किया जाता है ये तो बस हो जाता है। मैं सोच रहा हूँ की मैं उसको मिलने जाऊंगा या ना जाऊ?
अशोक कुमार
आगे पढ़े:- लोग कहतें है की पहले प्यार को भुलाया नहीं जा सकता।
मैंने बोला, कौन?
कॉल: मैं अनामिका।
मैं: ओह अनामिका! कैसी हो? नंबर कैसे मिला तुमको मेरा? कहाँ हो? कब? कैसे? बहुत अच्छा हुआ?
और सब ठीक है न?
उसने मुझे अपने घर पर खाने के लिए बुलाया है। वो पास की सिटी 'पालो आल्टो' में रहती है। मैं सोच रहा हूँ की जाऊ की न जाऊ? कुछ समझ नहीं आ रहा है।
अनामिका को मैंने पहली बार तब देखा था जब मैं इंजीनियरिंग करने के लिए देहरादून गया था। मेरे पापा मुझे अपने एक दोस्त रविंदर अंकल, के घर पर लेकर गए थे। पापा और रविंदर अंकल मिलिट्री में दोस्त थे। दोनों ने जपनी ज़िन्दगी के कई साल साथ में गुजारे थे।
रविंदर अंकल का घर कॉलेज के पास था। इसलिए उन्होने लड़कों के लिए दस रूम वाला एक घर बनवाया था जोकि उनके घर से दस कदम की दूर पर था। जिसमे सिर्फ स्टूडेंट रहते थे। मुझे उनके हॉस्टल में जगह मिल गयी। मैंने दो बेड वाले रूम में अपना सामान रखा। कुछ देर आराम किया। पापा और रविंदर अंकल बहार घूमने चले गए। आज शाम का खाना रविंदर अंकल के घर पर था।
मैं शाम को उनके घर पर गया। पापा और रविंदर अंकल मेरा इंतज़ार कर रहे थे। उनके घर के किचन के बहार आठ कुर्सियों वाला टेबल लगा था। मैं जैसे ही पंहुचा अंकल मुझे बोले, आओ अभिषेक, बैठो। कमरा कैसा लगा।
मैंने, थैंक्यू बोला, साथ में, "कमरा अच्छा लगा।"
अंकल: बस ठीक है। धीरे-धीरे तुम्हारा मन लग जायेगा। फिर सब कुछ बहुत अच्छा लगने लग जायेगा।
तभी एक लड़की आकर मेरे सामने बैठी।
अंकल: ये मेरी बेटी है। अनामिका।
अनामिका: हेलो!
मैं: हेलो!
आंटी बोली की, बी.ए में एडमिशन करवाया है।
मैं: फिर तो अच्छा है कोई टेंशन नहीं है।
अनामिका: क्यों टेंशन नहीं है। बिना पढ़े बी.ए पास नहीं होती है। समझे!
मैं: हाँ ये बात तो सही है। बिना पढ़े तो बीए पास नहीं होती है। तुमको ये मानना पेड़ेगा की बीटेक
जितनी मुश्किल नहीं होती बीए।
अनामिका: बीए बीए है। बीटेक बीटेक है। कहाँ पोलाव और कहाँ खिचड़ी। खैर जाने दो। लोगों के लिए
तो दोनों चावल हैं और कुछ नहीं।
इसी तरह बात चीत करते-करते, हमने साथ में खाना खाया। मेरी उनके परिवार के साथ अच्छी दोस्ती हो गयी। मैं ओपन माइंडेड हुआ करता था। ज़्यादा शर्माता-वर्मता नहीं था। उनके घर आना-जाना लगा रहता था। ऐसे हस्ते- खेलते पढ़ते कब तीन साल निकल गए मुझे पता ही नहीं चला। एक दिन मैं अनामिका के घर पर था तभी उसकी मम्मी को एक कॉल आया। उसकी मम्मी कॉल के बाद थोड़ा घबरा गयी। मैंने उनको पहले पानी पिलाया। फिर पूछा की क्या हुआ। उन्होने हकलाते हुए बोला की, पुलिस स्टेशन से फ़ोन आया था। फ़ोन अनामिका ने किया था, फिर पुलिस वाले ने बोला की, "आप स्टेशन आ जाओ। यहाँ पर बैठ के बात करते हैं।"
मैंने आंटी के साथ पुलिस स्टेशन गया। गेट पर अनामिका मिली। आंटी ने जैसे ही अनामिका को देखा, तीन चार झापड़ धार दिए। कांस्टेबल ने दौड़ कर रोका। कांस्टेबल बोली की हाथ नहीं लगाना। बात करना है तो करो नहीं तो बहार बैठो।
आंटी: क्या किया तूने? क्यों किया? ये सब कब किया? अनामिका रो रही थी क्योकि उसकी मम्मी ने
उसको मारा था।
इंस्पेक्टर ने सबको अंदर बुलाया। इंस्पेक्टर ने आंटी को एक कागज दिखाया।
इंस्पेक्टर: ये देखो तुम्हारी लड़की ने कोर्ट मेरज़ कर लिया है। तीन महीने पहले।
आंटी: मैं नहीं मानती। ये सब झूठ है।
इंस्पेक्टर: (मुझे पूछता हुआ) तुम क्या करते हो?
मैं: "इंजीनियरिंग थर्ड ईयर" । मैं इंजीनियरिंग थर्ड ईयर में हूँ।
इसंपेक्टर: इधर आओ और ये पढ़-कर सुनाओ।
मैंने वो कागज़ इंस्पेक्टर के हाथों से लिया और पढ़कर आंटी को सुनाया।
मैं: ठीक कह रहे हैं। शादी कर ली है। तीन महीने पहले।
आंटी: नहीं नहीं, रुको। इसके पापा को आने दो। मुझे कुछ नहीं मालूम है।
कांस्टेबल ने हमको एक अलग कमरे में बैठा दिया। अनामिका थाने से बहार चली गयी। दो घंटे बाद अंकल आये। इंपेक्टर ने उनको हमको फीर से केबिन में बुलाया। इंस्पेक्टर ने सारी बात फिर से बताई। अंकल ठीक है कह कर थाने से बहार निकल गए।
आंटी अपनी बहन के घर गयी। जिसकी रिस्तेदारी में लड़का आता था। यानि की लड़का अनामिका की मौसी का रिस्तेदार था। आंटी ने मौसी को बोला की उनके घर से किसी को बुलाओ। मौसी ने फ़ोन करके बुलाया। लड़की के जीजा और बहन मिलने के लिए आये।
आंटी बोली की हमारी लड़की किधर है। हमको हमारी लड़की चाहिए।
जीजा बोला, "हमको नहीं पता की वो किधर है, मुझे बस इतना पता है की उसने शादी की है। जब हमको पता चल जाएगा तो हम आपको खबर कर देंगे। इसी तरह से थोड़ी बहस हुई। थोड़ी बहुत नोक झोंक हुई। हम अपने घर चले गए।
अगले दिन 11.00 बजे अनामिका घर पर अकेली आ गयी। आंटी ने उसके हाथ जोड़े। पैर जोड़े। बहुत समझाया उसको। पर वो न मानी। मैं मूक बनके सब कुछ देखता रहा। येही ड्रामा पांच छे दिन तक चलता रहा। जब तक रिस्तेदार नहीं आ गए। लेकिन अनामिका नहीं मानी। कोई सेट्लमेंट नहीं हुआ। सातवें दिन पुलिस का फ़ोन आया की, तुमको सेट्लमेंट करना है तो करो नहीं तो लड़की को रिलीज़ करदो।
दोनों घर वालों की सहमति से समाज को दिखाने के लिए पुरे सामाजिक रूप से लड़की की शादी धूम-धाम से की गयी। लड़का भी घोड़े पर आया अपनी दुल्हन को ले जाने के लिए। आखिरकार सब कुछ ठीक से हो गया। इज़्ज़त भी बच गयी और लड़की की बिदाई भी हो गयी।
अनामिका कुछ दिन तक अपने घर पर ठीक रही। बाद में पता चला की उसको उसकी ननद की तरफ से बहुत परेशान किया जाता है। अनामिका से बहुत सारा काम करवाया जाता है। बाकी सब लोग आराम करते हैं। इसी वजह से अनामिका टेंशन में रहने लग गयी। इसी बीच उसका गर्भपात हो गया। घर में बहुत टेंशन हो गयी। नित-दिन लड़ाई-झगड़ा होने लगा।
आंटी जाकर अनामिका को लेकर आयी। आंटी बोली की मैं अपनी बेटी को अपने घर लेकर जा रही हूँ। एक महीने तक लड़के के घर से कोई लेने नहीं आया न ही कोई फ़ोन आया। दो महीने बाद अचानक से एक दिन लड़के का फ़ोन आया और बोला आपको अपनी लड़की को भेजना नहीं है क्या, साफ-साफ़ बता दो?
आंटी बोली की, "नहीं भेजना है, हमको डाइवोर्स फाइल करना है।" लड़के ने फ़ोन रख दिया। आठ महीने बाद लड़की की तरफ से डाइवोर्स फाइल हो गया। फाइल होने के कुछ दिनों बाद अनामिका फिर से उसको फ़ोन करने लगी। लड़का उसको मनाने लगा। अनामिका एक बार फिर से उसके माया जाल में फास रही थी की उसकी मम्मी ने उसको पकड़ लिया। उसी दिन उसके पापा शाराब पीकर घर आये थे और उन्होने अनामिका को बहुत मारा। मार खाने के बाद उसने फ़ोन पर बात करन बंद कर दिया। उसके छे महीने बाद दोनों का डाइवोर्स हो गया। मेरी इंजीनियरिंग पूरी हो गयी और मैं अमेरका चला आया।
स्टार्टिंग में उनसे बात होती थी, कुछ महीने बाद आंटी ने उसका एडमिशन एम.ए में करवा दिया। उसका फिर से एक चक्कर चालू हो गया। उसके पापा ने उसको फिर से मारा और बोला की "कुत्ते दम कभी सीधी नहीं होगी। कितना भी समझा लो करेगी फिर से वही अपने वाली।"
आज उसने मुझे फ़ोन पर मुझे बताया की उसकी दूसरी शादी किसी इंजीनियर से हुई है और वो उसके साथ अमेरिका में रहती है।
उसके पापा उसको कुछ भी कह सकते हैं। ये उनका अधिकार है। उसकी माँ उसको मारपीट के समझा सकती है। क्योकि उन्होने उसको जन्म दिया है। मेरी नज़र में वो एक सीधी-साधी लड़की है। जो हमसफ़र की तलाश में है। प्यार करना कोई गुनाह नहीं है। प्यार किसी से पूछा के नहीं किया जाता है ये तो बस हो जाता है। मैं सोच रहा हूँ की मैं उसको मिलने जाऊंगा या ना जाऊ?
अशोक कुमार
आगे पढ़े:- लोग कहतें है की पहले प्यार को भुलाया नहीं जा सकता।
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