मेरे एक दोस्त ने मुझे फ़ोन किया और बोला की मुझे ऐसा लगता है जैसे मेरा जीवन रुक सा गया है। मुझे समझ में नहीं आ रहा है की मैं अपने जीवन को गतिमान कैसे बनाऊ?

मैंने उसको कहा की, ये तो बहुत ही सरल है। इसमें इतना परेशान होने की कोई बात नहीं है। ये एकदम आसान है। तुमको सिर्फ एक चीज़ का कुछ दिन के लिए अनुसरण करना है।
वो बोला किसीका? स्वाभाविक था की, वो यही सवाल पूछेगा।
मैंने उसको कहा की, जो चीज़ इस दुनिया में सबसे अधिक गतिमान है। तुम को उसका अनुसरण करना पड़ेगा।
उसने हस्तें हुए कहा की, इस दुनिया में सबसे ज़्यादा गतिमान राकेट है। क्या मैं उसका अनुसरण करू?
मैंने मुस्कुरा कर कहा की, नहीं - नहीं, उस से भी ज़्यादा तेज़ कुछ है। तुमको उसका अनुसरण करना है।
वो बोला की, मैं कुछ समझा नहीं, ठीक से समझावो यार पहेलियाँ मत पढ़ाओ।
मैंने कहा की, समय। समय का अनुसरण करो। समय से ज़्यादा गतिमान, कुछ भी नहीं है। यदि तुम समय का अनुसरण करना सीख गए तो तुम कभी भी खुद को स्थगित महसूस नहीं करोगे।
अशोक कुमार
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