मेरे लिए ये बहुत ही कठिन सवाल था।कुछ देर सोचने के बाद मैंने उसको जवाब देते हुए कहा की, मानव जीवन के शुरुवात में जब लोगों ने समुदाय बनाना शुरू किया होगा तो उन्होने खुद की पहचान के लिए कोई शब्द या कोई झंडे का इस्तेमाल किया होगा। क्योकि लोग झुण्ड में रहना पसंद करते थे तो कबीले की जानकारी के लिए उन्होंने कर्म, आदत, और सोच के हिसाब से अपने पहचान के तौर पर कुछ शब्दों का इस्तेमाल किया होगा।
जैसे-जैसे समय बिता होगा, उस समुदाय में रहने वाले लोगों ने अपने नाम के पीछे उन शब्दों का प्रयोग किया होगा। धीरे-धीरे वही शब्द जाती के रूप में प्रचलित हो गए होंगे और आज हम सब के नाम के पीछे अपने समुदाय की निशानी है। जिसको हम जाती कहते हैं। दुनिया में ऐसी करोड़ों जातियां हैं। करोड़ों जातियों से सम्बन्ध रखने वाले अरबों लोग हैं। जो अपने समुदाय की पहचान को जाती के रूप में आज भी, अपने साथ लिए चल रहे हैं।
अशोक कुमार
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