ये कहानी मेरे दोस्त अंकुश और मनीष की है आठवीं क्लास से दोनों दोस्त है। आजकल मनीष एक बैंकर है। वो हांगकांग के किसी कंपनी को मैनेज करता है। अंकुश फोटोग्राफर है। वो पंजाबी फिल्मों में फोटोग्राफी करता है। दोनों की लाइफ एक दम मस्त चल रही है।
सेकंडरी के बाद मनीष और अंकुश ने अलग-अलग कॉलेज में एडमिशन लिया। दोनों मिलते जुलते रहते थ। एक दिन अंकुश ने अपनी क्लास की एक लड़की की तस्वीर मनीष को दिखाई। अंकुश तस्वीर दिखते हुए बोला, "देख तेरी भाभी।"
मनीष: दिखा? ओह तेरी दी!
अंकुश: देख्या? तेरी भाभी बनेगी।
मनीष ने अंकुश को धीरे से बोला की, यार मिलाएगा नहीं। अंकुश बोला इसमें कौनसी बड़ी बात है। अगले वीक कॉलेज में फंक्शन है। तू चलना तेरे को मिला दूंगा।
वैसा ही हुआ। अंकुश ने मनीष को दिशा से मिलवा दिया। मनीष ने थोड़ी दोस्ती के बाद दिशा का नंबर ले लिया। मनीष की बातें व्हाट्सप्प पर होने लगी। उसने धीरे-धीरे अंकुश के सपने पर हाथ जमा लिया। अगले छे महीने बाद दिशा, मनीष की गर्लफ्रेंड बन गयी। अंकुश देखता रह गया।
अशोक कुमार
आगे पढ़े: - हमारा इस तरह से दुबारा मिलाना किस्मत का खेल है।
कोई टिप्पणी नहीं