मेरा एक दोस्त सुबह उठते ही ये सोचता है की मैं क्या करूँ? ऐसा क्या करूँ की जीवन बहुत अच्छा हो जाए?
ऐसा क्या करूँ की मेरा बैंक-बैलेंस बढ़ जाए? क्या करूँ की मुझे कुछ करने की ज़रूरत न हो और जीवन आराम से कट जाए और कोई काम भी ना करना पड़े। कोई तकलीफ भी ना उठानी पड़े। गाडी - बंगला सब हो जाए, ऐसा क्या करूँ?
एक दिन सुबह मैं चाय पीकर ऑफिस के लिए निकल ही रहा था और वो बहुत उदास सा चेहरा लेकर मेरे पास आया और अपने मन की व्याकुलता के बारे में बताने लगा। वो बहुत निराश और परेशान भी लग रहा था।
मैंने उसकी मुसीबत के बारे में सुना और उसको एक उपाय बताया की कुछ भी करने की ज़रूरत नहीं है। बस जब तुम सोचते हो तो मुस्कुरा कर सोचा करो। दर्द काम हो जाएगा। कम से कम खुश हो कर सोचा - विचार करो। तुम्हारे पास और करने को भी क्या है? वो मुस्कुरा कर बोला की ये बात भी ठीक है।
।। सोचते रहो ।।
अशोक कुमार
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