मेरा नाम अशोक है। चलो आज मैं आपको एक कहानी सुनाता हूँ। ये कहानी मेरे दोस्त माहि की है। वो बहुत ही इश्क़ मिजाज वाला लड़का है। ये कहानी उस समय की है जब मैं और वो कॉलेज के सेकंड ईयर में पढ़ रहे थे।
वो हमेशा सोचता था की उसकी एक गर्लफ्रेंड हो। जिसको वो प्यार करे। कोई तो हो जो उसकी बाइक की पिछली सीट पर बैठे। पर किस्मत से वो सिंगल था। लेकिन वो कम से कम पांच लड़कियों से फ़ोन पर बात करता था। लेकिन कभी उनको मिलने नहीं गया। क्योकि सभी आउट ऑफ़ टाउन रहती थी। पांचो लॉन्ग डिस्टेंस टॉकिंग फ्रेंड थी। कॉलेज जाते समय रास्ते में कोई पसंद आ जाये तो बाइक उसके पीछे लगा लेता था। पर उसने कभी किसी को तंग नहीं किया।
उसके पास टाइम की बहुत कमी होती थी। उसका हार्डवेयर का स्टोर था। शहर का फेमस स्टोर होने के कारण हमेशा स्टोर में भीड़ लगी रहती थी। कॉलेज से आने के बाद माहि स्टोर पर अपने पापा की हेल्प करता था। पैसा की कोई दिक्कत न थी। दिक्कत थी तो टाइम की। माहि बेचारे के पास आशिक़ी करने का टाइम नहीं था। समय की कमी करे कारण वो खुल कर कॉलेज की ज़िन्दगी जी नहीं पा रहा था।
एक दिन वो अपने दोस्त दमन की पार्टी में गया था। दमन के पसोडी के रस्तेदार भी इत्तफाक से उस पार्टी में मौजूद थे। माहि की उस पार्टी में एक लड़की पसंद आ गयी। इत्तफाक से वो लड़की दमन के पडोसी के रिस्तेदार की रिस्तेदार थी। किस्मत से उसी शहर में रहती थी। दो दिन बाद दमन ने माहि को किसी तरह से उस लड़की का नंबर ला कर दिया। माहि बात करने को बेचैन था। माहि बहुत ही धेर्यपूर्ण तरीके से पेश आ रहा था। क्योकि उसको पहली नज़र वाला प्यार हो गया था। दो महीने बाद उनकी खुल के बातें होने लगी। लड़की बारवीं पास कर चुकी थी। लेकिन अभी तक उसने कॉलेज ज्वाइन नहीं किया था। लड़की की एक बहुत बड़ी कमज़ोरी 'कहूं की ताकत' ये थी की वो हमेशा सरप्राइज देती थी। वो जब भी दमन के पडोसी के घर आती थी माहि उस गली में बीस चक्कर मार दिया करता था। पर एक बार भी उसको सही से देख नहीं पाता था। महीने बीतते गए। पर अभी तक वो उसको सही से देख नहीं पाया था। लड़की ने कई बार उसको अपन फोटो शेयर किया था। पर इस बात का कभी प्रूफ नहीं मिला की वो उसकी ही फोटो थी या किसी और की।
क्योकि दमन इस बारे में झूठ बोलता था क्योकि वो जब भी कोई फोरो देखता बस ये कह देता की उसकी ही है। माहि हमेशा कंफ्यूज ही रहता था। दो बार उसने उसको मिलने के लिए बुलाया पर वो मिलने नहीं आयी। कई बार वो दूकान के आगे से निकल के जाती और बाद में फ़ोन पर बताती की मैं आज तुम्हारी दूकान के सामने से गुजरी थी। माहि उसको प्यार करता था। माहि बस एक बार उसको मिलना चाहता था। जब भी मेरी और माहि की उस लड़की को लेकर बात होती थी वो मुझे बताते हुए कहता था की, "बस एक बार उसका हाथ पकड़ के मैं उस से बात करना चाहता हूँ। एक बार उसको ज़ी भर के देखना चाहता हूँ। देखो ये दिन कब आएगा।"
उसके बारे में बात करते हुए हम बियर की बोतल खाली कर देते थे । एक दिन माहि को लड़की के बर्ताव पर बहुत गुस्सा आया और माहि ने उस से बात से इंकार कर दिया। अगले दस दिन तक दोनों की बात नहीं हुई। दमन खबर निकाल के लेकर आया की लड़की ने अपनी नस काट ली थी।
पर क्यों काटी? ये पता नहीं चल पाया था। पुरे एक महीने बाद माहि को उसका फ़ोन आया। वो लड़की माहि को कहानी बताती है की, "उसने नस क्यों काटी थी।" माहि ने पूछा की क्यों? क्योकि तुमने बात करने से मन कर दिया था। माहि ये सुन कर बहुत हैरान था, वो सिर्फ एक बार उस से मिलना चाहता था। मैं ये बात फील कर सकता था की माहि उस लड़की से कितना प्यार करने लगा था। मुझे कभी कभी ऐसा लगता था की माहि का वो इमोशनल शोषण कर रही है। मेरी तरफ से उसपर मेंटल हरासमेंट का केस होना चाहिए।
एक दिन लड़की ने कहा की, मैं अपने परिवार के साथ शिमला जा रही हूँ। तेरे को अगर मुझे मिलना या मुझे देखना है तो वहां पर आ जाना। मैं और माहि और हमारे दो दोस्त शिमला के लिए निकल पड़े। लड़की अपने परिवार के साथ थी। हम शिमला जा तो रहे थे पर ये पक्का नहीं था की मिलेंगे भी या नहीं। माहि को उम्मीद नहीं थी की वो वहां पर उसको मिल पायेगा। जो एक ही शहर में रह कर नहीं मिल पायी वो दूसरीअनजान शहर में कैसे मिलेगी। हम निकल पड़े।
रास्ते में दो बार माहि का लड़की से कांटेक्ट हुआ। अपने दोस्त को उसके प्यार से मिलाने के लिए हम उसके साथ जा रहे थे। आखिर में हम शिमला पहुंच गए। पहाड़ी इलाके में मोबाइल नेटवर्क ठीक काम नहीं कर रहा था। कई बार तो लड़की का फ़ोन बंद आता था। शिमला पहुंचने के बाद उनका कांटेक्ट नहीं हुआ। अब सबसे बड़ी समस्या ये थी की उसकी लोकेशन कैसे पता लगाई जाए। कैसे उसको देखा जाए। सिर्फ एक आदमी ही उसको पहचानता था। लेकिन वो झूठ बोल देता है। उस पर यकीन करना भी मुश्किल है। हम सिर्फ रात को ही सोते थे। दिन भर लड़की की तलाश में रहते थे। दो दिन निकल गए थे पर कोई बात नहीं बानी थी। माहि बहुत उदास था। हमसे उसकी उदासी देखि नही जा रही थी और वो लड़की हमारे दोस्त के साथ हाईड एंड सीक खेल रही थी।
कोई मैसेज नहीं आया था। न ही कोई कॉल आया। दो दिन बाद जब हम थक गए तो हमने वहां से निकलने का फैसला किया। हमने सामान बंधा और निकल गए। माल रोड क्रॉस कर ही रहे थे की दमन ने एक लड़की को दिखते हुए कहा की वो रही वो। माहि का चेहरे ऐसा लग रहा था मनो वो अभी रो देगा। हमने एक फॅमिली को देखा। जो स्कार्पियो में समान रख रही थी। एक हलके रंग की सवाली लड़की। दमन ने माहि से बोला की वही है वो। हम सबने देखा। माहि और उसकी नज़र सिर्फ दो सेकंड के लिए मिली। लड़की कार में बैठी और निकल गयी।
माहि खुश था। आखिर उसको एक बार देखा तो सही। माहि नाराज़ था क्योकि उसको मिल न सका। वो खुद परेशान था और हम सबको भी उसने परेशान किया।
माहि की कुछ बात न हो सकी इसका हमको सबसे ज़्यादा अफ़सोस था। आखिर हम वापिस आ गए। कुछ महीने बाद पता चल की वो लड़की लंदन चली गयी है।
माहि ने कहा की उसने आखिरी बार मुझे कॉल किया था और कहा की, "यू आर माय फर्स्ट लव। मैं तुमको कभी नहीं भूलूंगी।"
ये कहते हुए माहि ने बियर की बोतल तोड़ दी। उसका गुस्सा जायज़ था। माहि बेचारा टूट चूका था। मेरे पास उसको कहने को कुछ न था सिवाए, "कोई बात नहीं यार तेरी लिए उस से अच्छी ढूंढेंगे।"
अशोक कुमार
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वो हमेशा सोचता था की उसकी एक गर्लफ्रेंड हो। जिसको वो प्यार करे। कोई तो हो जो उसकी बाइक की पिछली सीट पर बैठे। पर किस्मत से वो सिंगल था। लेकिन वो कम से कम पांच लड़कियों से फ़ोन पर बात करता था। लेकिन कभी उनको मिलने नहीं गया। क्योकि सभी आउट ऑफ़ टाउन रहती थी। पांचो लॉन्ग डिस्टेंस टॉकिंग फ्रेंड थी। कॉलेज जाते समय रास्ते में कोई पसंद आ जाये तो बाइक उसके पीछे लगा लेता था। पर उसने कभी किसी को तंग नहीं किया।
उसके पास टाइम की बहुत कमी होती थी। उसका हार्डवेयर का स्टोर था। शहर का फेमस स्टोर होने के कारण हमेशा स्टोर में भीड़ लगी रहती थी। कॉलेज से आने के बाद माहि स्टोर पर अपने पापा की हेल्प करता था। पैसा की कोई दिक्कत न थी। दिक्कत थी तो टाइम की। माहि बेचारे के पास आशिक़ी करने का टाइम नहीं था। समय की कमी करे कारण वो खुल कर कॉलेज की ज़िन्दगी जी नहीं पा रहा था।
एक दिन वो अपने दोस्त दमन की पार्टी में गया था। दमन के पसोडी के रस्तेदार भी इत्तफाक से उस पार्टी में मौजूद थे। माहि की उस पार्टी में एक लड़की पसंद आ गयी। इत्तफाक से वो लड़की दमन के पडोसी के रिस्तेदार की रिस्तेदार थी। किस्मत से उसी शहर में रहती थी। दो दिन बाद दमन ने माहि को किसी तरह से उस लड़की का नंबर ला कर दिया। माहि बात करने को बेचैन था। माहि बहुत ही धेर्यपूर्ण तरीके से पेश आ रहा था। क्योकि उसको पहली नज़र वाला प्यार हो गया था। दो महीने बाद उनकी खुल के बातें होने लगी। लड़की बारवीं पास कर चुकी थी। लेकिन अभी तक उसने कॉलेज ज्वाइन नहीं किया था। लड़की की एक बहुत बड़ी कमज़ोरी 'कहूं की ताकत' ये थी की वो हमेशा सरप्राइज देती थी। वो जब भी दमन के पडोसी के घर आती थी माहि उस गली में बीस चक्कर मार दिया करता था। पर एक बार भी उसको सही से देख नहीं पाता था। महीने बीतते गए। पर अभी तक वो उसको सही से देख नहीं पाया था। लड़की ने कई बार उसको अपन फोटो शेयर किया था। पर इस बात का कभी प्रूफ नहीं मिला की वो उसकी ही फोटो थी या किसी और की।
क्योकि दमन इस बारे में झूठ बोलता था क्योकि वो जब भी कोई फोरो देखता बस ये कह देता की उसकी ही है। माहि हमेशा कंफ्यूज ही रहता था। दो बार उसने उसको मिलने के लिए बुलाया पर वो मिलने नहीं आयी। कई बार वो दूकान के आगे से निकल के जाती और बाद में फ़ोन पर बताती की मैं आज तुम्हारी दूकान के सामने से गुजरी थी। माहि उसको प्यार करता था। माहि बस एक बार उसको मिलना चाहता था। जब भी मेरी और माहि की उस लड़की को लेकर बात होती थी वो मुझे बताते हुए कहता था की, "बस एक बार उसका हाथ पकड़ के मैं उस से बात करना चाहता हूँ। एक बार उसको ज़ी भर के देखना चाहता हूँ। देखो ये दिन कब आएगा।"
उसके बारे में बात करते हुए हम बियर की बोतल खाली कर देते थे । एक दिन माहि को लड़की के बर्ताव पर बहुत गुस्सा आया और माहि ने उस से बात से इंकार कर दिया। अगले दस दिन तक दोनों की बात नहीं हुई। दमन खबर निकाल के लेकर आया की लड़की ने अपनी नस काट ली थी।
पर क्यों काटी? ये पता नहीं चल पाया था। पुरे एक महीने बाद माहि को उसका फ़ोन आया। वो लड़की माहि को कहानी बताती है की, "उसने नस क्यों काटी थी।" माहि ने पूछा की क्यों? क्योकि तुमने बात करने से मन कर दिया था। माहि ये सुन कर बहुत हैरान था, वो सिर्फ एक बार उस से मिलना चाहता था। मैं ये बात फील कर सकता था की माहि उस लड़की से कितना प्यार करने लगा था। मुझे कभी कभी ऐसा लगता था की माहि का वो इमोशनल शोषण कर रही है। मेरी तरफ से उसपर मेंटल हरासमेंट का केस होना चाहिए।
एक दिन लड़की ने कहा की, मैं अपने परिवार के साथ शिमला जा रही हूँ। तेरे को अगर मुझे मिलना या मुझे देखना है तो वहां पर आ जाना। मैं और माहि और हमारे दो दोस्त शिमला के लिए निकल पड़े। लड़की अपने परिवार के साथ थी। हम शिमला जा तो रहे थे पर ये पक्का नहीं था की मिलेंगे भी या नहीं। माहि को उम्मीद नहीं थी की वो वहां पर उसको मिल पायेगा। जो एक ही शहर में रह कर नहीं मिल पायी वो दूसरीअनजान शहर में कैसे मिलेगी। हम निकल पड़े।
रास्ते में दो बार माहि का लड़की से कांटेक्ट हुआ। अपने दोस्त को उसके प्यार से मिलाने के लिए हम उसके साथ जा रहे थे। आखिर में हम शिमला पहुंच गए। पहाड़ी इलाके में मोबाइल नेटवर्क ठीक काम नहीं कर रहा था। कई बार तो लड़की का फ़ोन बंद आता था। शिमला पहुंचने के बाद उनका कांटेक्ट नहीं हुआ। अब सबसे बड़ी समस्या ये थी की उसकी लोकेशन कैसे पता लगाई जाए। कैसे उसको देखा जाए। सिर्फ एक आदमी ही उसको पहचानता था। लेकिन वो झूठ बोल देता है। उस पर यकीन करना भी मुश्किल है। हम सिर्फ रात को ही सोते थे। दिन भर लड़की की तलाश में रहते थे। दो दिन निकल गए थे पर कोई बात नहीं बानी थी। माहि बहुत उदास था। हमसे उसकी उदासी देखि नही जा रही थी और वो लड़की हमारे दोस्त के साथ हाईड एंड सीक खेल रही थी।
कोई मैसेज नहीं आया था। न ही कोई कॉल आया। दो दिन बाद जब हम थक गए तो हमने वहां से निकलने का फैसला किया। हमने सामान बंधा और निकल गए। माल रोड क्रॉस कर ही रहे थे की दमन ने एक लड़की को दिखते हुए कहा की वो रही वो। माहि का चेहरे ऐसा लग रहा था मनो वो अभी रो देगा। हमने एक फॅमिली को देखा। जो स्कार्पियो में समान रख रही थी। एक हलके रंग की सवाली लड़की। दमन ने माहि से बोला की वही है वो। हम सबने देखा। माहि और उसकी नज़र सिर्फ दो सेकंड के लिए मिली। लड़की कार में बैठी और निकल गयी।
माहि खुश था। आखिर उसको एक बार देखा तो सही। माहि नाराज़ था क्योकि उसको मिल न सका। वो खुद परेशान था और हम सबको भी उसने परेशान किया।
माहि की कुछ बात न हो सकी इसका हमको सबसे ज़्यादा अफ़सोस था। आखिर हम वापिस आ गए। कुछ महीने बाद पता चल की वो लड़की लंदन चली गयी है।
माहि ने कहा की उसने आखिरी बार मुझे कॉल किया था और कहा की, "यू आर माय फर्स्ट लव। मैं तुमको कभी नहीं भूलूंगी।"
ये कहते हुए माहि ने बियर की बोतल तोड़ दी। उसका गुस्सा जायज़ था। माहि बेचारा टूट चूका था। मेरे पास उसको कहने को कुछ न था सिवाए, "कोई बात नहीं यार तेरी लिए उस से अच्छी ढूंढेंगे।"
अशोक कुमार
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