किसी का अनुसरण करना तब तक ठीक है जब तक आपको पता नहीं है की जीवन में करना क्या है। जिस दिन आपको इस बात का ज्ञान हो जायेगा की आपका जन्म किस कार्य को पूरा करने के लिए हुआ है उस दिन से आपको किसी का अनुसरण करने की ज़रूरत नहीं पड़ेगी। उस दिन से आपको बस खुद का अनुसरण करना है। खुद को ही साधना है। खुद के विचारों को सुनना है। खुद के बनाये रास्तों पर चलना है। खुद के द्वारा तय की गयी मंज़िल तक पहुंचना है।
जो कमज़ोर है और दिशा - हीन है उनको किसी का अनुसरण करना पड़ता है और किसी दूसरे के बताये रास्तों पर जीवन भर चलना पड़ता है।
बस स्वयं को जान लोग। कुछ और जानने की ज़रूरत नहीं है।
अशोक कुमार
आगे पढ़े: - मैं क्या करूँ?
कोई टिप्पणी नहीं