मैंने उसको कहा की, तुमने प्रतिदिन क्या किया, जब तुम तीन-चार दिन तक अकेले थे? सिद्देश बोल कुछ नहीं, बस आराम कर रहा था। लेकिन रात को सारा दिन आराम करने की वजह से नींद नहीं आ रही थी। पहले दिन में रात को 3.00 बजे सोया। अगले दिन मैं 10.00 बजे उठा। नहाते- धोते यही कोई 12.00 बज गए। थोड़ी देर मोबाइल पर फिल्म देखी और फिर से सो गया।
मैंने कहा की उसके बाद। उसने बताया की शाम को मैं 7 बजे उठा। चाय पी। बाची हुई मूवी को दुबारा देखा। उसके बाद एक और मूवी देख डाली। तोड़ी गेम खेली। रत को यही कोई चार बजे तक सो गया। अगले दिन 11.00 बजे उठा। फिर से नहाते-धोते १ बज गया। फिर उसी तरह से दिन निकल गया।
मैंने उसको कहा की सोचो अगर तुमको अगले 10 साल तक ऐसा की करना हो तो तुमको कैसा लगेगा। उसने झटपट बोला की न न कभी नहीं मैं तीन-दिन में ही मरने वाला हो गया था। आराम की वजह से जीना हराम हो गया था। सोचता था की कब सोमवार आये और मैं फिर ऑफिस को जाऊ।
मैंने जोड़ते हुए कहा की, अगर आज पूरी दुनिया के लोग काम करना बंद करदे तो आने वाले 5 साल में दुनिया की आबादी आधी रह जाएगी।
कुछ लड़ाई झगड़े में मर जायेंगे। कुछ फांसी पर लटक जायेगे। कुछ पागल हो जायेगे। जो बचेंगे वो भूख से मर जायेगे।
सिद्देश बोला की, बात तो ठीक है।
जीवन बिना कर्म के मृत्युं के समान हैं।
अशोक कुमार
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