उसकी डेड बॉडी को देख कर ऐसा लग रहा था जैसे किसी ने उसको बहुत बुरी तरह से मारा है। किसी ने उसके बालों से पकड़ कर घसीटा है। वो मरने से पहले खूब रोई होगी। क्योकि उसके आँखों का काजल बह के उसके गालों से होता हुआ उसकी गर्दन तक गया था। अँधेरे कमरे में अकेली एकदम हारी हुई लड़की। उसने सफ़ेद ड्रेस पहन राखी थी। उसके कपड़ों को देख कर लगता था श्याद वो किसी पार्टी से वापिस आयी थी।
मैं विक्रांत मेहता सुपरिन्टेन्डेन्ट ऑफ़ पुलिस मुंबई के अँधेरी में एक फ्लैट पर मृत पायी गयी एक लड़की की जांच कर रहा हूँ।
मेरी टीम ने पूरा घर छान मारा पर लड़की के मरने की कोई वजह पता न चल सकी। कोई सबूत हासिल नहीं हुआ। कातिल कौन है ये जानना बहुत मुश्किल है क्योकि कोई सुराग अभी तक मिला नहीं है।
मैंने SI विकास को भेजा है आस पड़ोस के सीसीटीवी को चेक करने के लिए। श्याद वहां से कोई सुराग मिल जाए। फोरेंसिक की टीम ने अपनी करवाई पूरी कर डाली है। पुरे फ्लैट की वीडियोग्राफी और फोटोग्राफी हो चुकी है। हमने बॉडी को कस्टडी में लेकर करवाई शुरू करदी है।
करवाई के पहले सीक्वेंस में हमने बिल्डिंग के सिक्योरिटी से बात की शुरू की। बिल्डिंग के सिक्योरिटी से बात करके ये पता चला की लड़की को इस बिल्डिंग में आये दो महीने हुए थे। वो अकेली रहती थी। कभी किसी बॉयफ्रेंड को आते जाते नहीं देखा था। ऐसा लगता था की बिलकुल अकेली है। कभी उसको फ़ोन पर बातें करते नहीं देखा था। कभी-कभी लेट नाईट आती थी। सिक्योरिटी ने कहा की मुंबई है तो ये एक आम बात थी। क्योकि यहाँ पर तो लेट-नाईट आना कोई बड़ी बात नहीं है।
इस से ज़्यादा कुछ पता नहीं है। क्योकि नयी-नयी ही थी। आस-पड़ोस के लोगों ने कहा की उनकी अभी तक तो उस से कोई बात नहीं हुई थी।
कब आती थी कब जाती थी उनको खुद नहीं पता? सब लोग अपने-अपने फ्लैट में रहते है। कोई नया आदमी आता है तो जल्दी पता नहीं चलता है।
कोई सुराग नहीं मिल रहा है। एक २२ साल की लड़की जोकि मृत पायी जाती है। उसका कोई सुराग नहीं मिलता है। हमने उसके फ्लैट के ब्रोकर से बात की। उसने जो अग्रीमेंट बनाया था उस पर तो उसका कोई अता-पता चलेगा। उसका आधार कार्ड हमको मिला। जिससे ये पता चला की उसका नाम रौशनी है जो की बेंगलुरु से बिलोंग करती थी। बेंगलुरु की पुलिस की मदद से हमने उसके पेरेंट्स को कांटेक्ट किया।
उसके पेरेंट्स को हमने इन्फॉर्म कर दिया। उसके पापा ने बताया की, "उनकी बेटी कॉलेज के बाद से उनके साथ नहीं रहती थी। जब तक उसने पढाई पूरी की तब तक रौशनी कॉलेज के हॉस्टल में रहती थी। ज़्यादातर वो सिर्फ फ़ोन पर ही बात करती थी। घर पर कम ही आती-जाती थी। जैसे उसने खुद को हमसे अलग कर लिया। पता नहीं उसके साथ क्या हुआ होगा?"
उसकी फॅमिली से बात करके भी कोई सुराग नहीं मिला। मुझे ऐसे केस बहुत पसंद है। ऐसे केस को सोल्वे करने का एक अलग ही मज़ा होता है। कुछ पता नहीं होता है ऐसा लगता है जैसे तुम कोई गेम खेल रहे हो और हर एक राउंड को क्लियर करके आगे बढ़ना है। चाहे जो मर्जी हो जाए मैं इस केस को सोल्व करके ही रहूँगा।
ऐसा कैसे हो सकता है आज के में टाइम किसी के पास मोबाइल फ़ोन न हो। ऐसा कैसे हो सकता है। किसी के पास कोई कांटेक्ट नंबर न हो। अभी मेरे दिमाग में आया। हमे आधार कार्ड से जो मोबाइल नंबर निकाला है वो एक साल पहले से बंद आ रहा है। हमको जो नंबर ब्रोकर से मिला है वो भी रॉंग नंबर आ रहा है। इसका मतलब लड़की खुद भी बहुत शातिर थी।
कुछ समझ नहीं आ रहा है। सब कुछ फिर से सोचना पड़ेगा। हमको एक २२ साल की लड़की की डेड बॉडी मिली है। कातिल का कोई सबूत नहीं है। उसकी दोनों हाथों की नसे काटी हुई थी तो हम कह सकते है की उसने आत्महत्या कर ली होगी। सुसाइड अटेम्प करने वाला कोई तो नोट जरूर छोड़ कर जाता है। चलो ये भी मान लिया की उसने कोई नोट नहीं छोड़ा। पर कोई ऐसा क्यों करेगा, सुसाइड से पहले, अपना मोबाइल छिपा देगा। कोई ब्रोकर को डिटेल्स में गलत नंबर क्यों देगा? कोई अपने परिवार से अलग क्यों रहना चाहता होगा। मुंबई में लड़की करती क्या थी ये भी नहीं पता? कोई जॉब नहीं कोई काम नहीं तो उसका गुजारा कैसे चलता होगा? सवाल तो बहुत थे पर जवाब कोई मिल नहीं रहा था।
फोरेंसिक की रिपोर्ट के अकॉर्डिंग लड़की चैन-स्मोकिंग करती थी। उसके फेफड़े 60% तक खराब होने की हालत में थे। अल्कोहल भी लेती थी। कुछ भी पता नहीं चल रहा था।
मैंने उसके पेरेंट्स से दुबारा कांटेक्ट किया। उनके लिए मैंने कुछ सवाल तैयार किये थे। वो कौनसे कॉलेज में पढ़ती थी। वो कौनसा कोर्स कर रही थी। उसका कोई ख़ास दोस्त। जिसका कोई कांटेक्ट डिटेल हो आपके पास।
उन्होन मुझे सारी डिटेल्स फ़ोन पर दी। मैंने उनके कहे अनुसार पता लगाना शुरू कर दिया। उसके पिता के अनुसार वो मुंबई के स्टीवन कॉलेज में पढ़ती थी। वो खुद आये थे उसका एडमिशन करवाने के लिए। उसने फैशन डिजाइनिंग का कोर्स ज्वाइन किया था। उसके पिता ने बताया की रौशनी की एडमिशन के बाद वो एक बार ही मिलने आये थे। फिर फ़ोन पर ही बात होती रहती थी। पहले सेमेस्टर के बाद वो घर पर आयी थी। तो कॉलेज ज्वाइन करके खुश थी। वो कॉलेज के बारे सब कुछ बताती थी। दूसरे सेमेस्टर में वो घर सिर्फ कुछ दिनों के लिए आयी थी। बोली की किसी डिज़ाइनर के यहाँ पर इंटर्न कर रही है। उसके बाद वो हर सेमेस्टर ऐसे ही कहती गयी और हम मानते गए। ऐसे ही कब उसकी डिग्री कम्पलीट हो गयी, हमको पता ही नहीं चला।
उसके बाद वो किसी डिज़ाइनर के पास जॉब करने लग गयी थी। रौशनी बोलती थी की उसकी ड्रीम जॉब लग गयी है। उसके पापा रोते हुए बोले की गलती मेरी थी जो मैं कभी चेक करने नहीं गया वो जो कुछ भी कहती गयी हम उसको सुनते गए, हमने उसकी हर बात पर विश्वास किया । अब ये बातें कितनी सच है कितनी झूठ, ये भी मुझे पता नहीं है। ये सुनते ही मुझे महसूस हुआ की अब वो रो देंगे तो मैंने उनको कहा की आज के लिए इतना काफी है अगर जरुरत तो में आपको कॉल करूँगा।
मैंने उनके कहे अनुसार स्टीवन कॉलेज गया। मैंने वहां पर पूछ ताछ की। तो मुझे पता चला की रौशनी ने सिर्फ फर्स्ट सेमेस्टर ही अटेंड किया था। उसने फर्स्ट सेमेस्टर के एग्जाम नहीं दिए थे। मुझे ये सुन के बहुत ताजुब हुआ की ये कैसे हो सकता है। ऐसा भला के लड़की क्यों करेगी?
मुझे कुछ समझ नहीं आ रहा था। केस और पेचीदा होते चला जा रहा था। अब मुझे ऐसा लगने लगा था की ज़रूर ये मामला किसी के साथ जुड़ा है। मैंने उसके कुछ दोस्तों के बारे में पता लगाने की कोशिश की पर ऐसा कोई दोस्त भी नहीं मिला जो उसको जानता हो। कुछ लोग मेले जो उसके साथ फर्स्ट सेमेस्टर में थे। वो तो उसको सही से याद भी कर पा रहे थे? बस इतना बोलते थे की एक लड़की थी और इस से ज़्यादा कुछ नहीं पता था।
रौशनी का कोई दोस्त नहीं था। मैंने उसके पापा से दुबारा बात की और उनको बताया की उनकी लड़की ने उनको धोखे में रखा था। उसने तो कॉलेज का फर्स्ट ईयर भी कम्पलीट नहीं किया था। मैंने ज़ोर देते हुए पूछा की, क्या आप उसके किसी दोस्त को जानते है देखे अगर आपको अपनी लड़की की मौत के बारे में पता लगाना है तो मुझे खुल के सब बताना होगा। उन्होने कहा की, मुझे जो कुछ भी पता था मैंने वो सब बता दिया।
मुझे कुछ समझ नहीं आ रहा था। उसके बिल्डिंग के अगल-बगल के सीसीटीवि रिकॉर्ड भी खंगाले पर कुछ भी हासिल नहीं हुआ। फाइनली मुझे ऐसा लगने लगा था की अब कोई सुराग नहीं मिलेगा। कई बार ऐसे केस भी देखे गए है जिनमे विक्टिम खुद ही शक के दायरे में आ जाता है। ऐसे केस में हमको दोनों तरफ से सोचना पढता है।
फोरेंसिक से रिपोर्ट में एक सुराग मिला है। उसके हाथ पर किसी पब की एंट्री स्टाम्प का निशान था जो की बिलकुल साफ़ हो चूका था। पर उसको बारीकी से चेक करने पर पता चला है। मैंने सोचा की मैं उस पब में दबिश करता हूँ। फिर मैंने एक प्लान बनाया। मैं उस पब मैं एक कस्टमर बनके गया। कुछ हासिल नहीं हुआ।
मैंने सोचा की कुछ दिन और ऐसे ही रूटीन आता रहूँगा। ताकि कुछ लोगों को सस्पेक्ट के रूप में देखा जा सके।
कुछ चेहरे मेरे नज़र में आये जो हरामी की औलाद लग रहे थे। एक वीक बाद मैंने अपनी टीम के साथ लड़की की फोटो के साथ पब में दस्तक दी।
To be conti...
अशोक कुमार
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